विद्यार्थियों के लिए आवश्यक शिक्षा-मनोविज्ञान

क्यों आवश्यक है विद्यार्थी के लिये  मनोविज्ञान Importance of educational psychology for students. विद्यार्थियों के लिये शिक्षा-मनोविज्ञान की आवश्यकता


विद्यार्थियों के लिए आवश्यक शिक्षा-मनोविज्ञान 

सर्वविदित है कि शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य बालक का सर्वांगीण विकास करना है I भारतीय शिक्षा पद्धति सदैव विद्यार्थी केन्द्रित रही है I विद्यार्थियों को सर्वगुण सम्पन्न बनाना, चरित्रवान बनाना, व्यावहारिक बनाना शिक्षा के द्वारा ही संभव है I इन सभी गुणों का समावेश विद्यार्थी में हो इसके लिये शिक्षक एक माध्यम का कार्य करता है I शिक्षा मनोविज्ञान के ज्ञान से शिक्षक बालक को समझ पाते हैं I शिक्षा-मनोविज्ञान के ज्ञान से विद्यार्थी स्वयं भी अपने व्यवहार के बारे में जानता है तथा अपेक्षित सुधारात्मक परिवर्तन को अपनाने में सकारात्मक दृष्टिकोण रखता है I शिक्षा-मनोविज्ञान के अंतर्गत विद्यार्थी के व्यवहार, बुद्धि, संवेग इत्यादि से जुड़े अनेक परीक्षण किये जाते हैं I इन परीक्षणों के परिणामों से विद्यार्थी स्वयं में सुधार करते हैं I केस-स्टडी के अंतर्गत मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक, परामर्शदाता बालक से उसके जीवन के विभिन्न पहलुओं, घटनाओं पर बात करते हैं, परामर्श देते हैं, इन सबका प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रभाव बालक पर पड़ता है I शिक्षा-मनोविज्ञान के अध्ययन से बालक तर्कसंगत विचार तथा चिंतन का विकास करता है I बालक समूह में रहना, सहयोगात्मक व्यवहार करना सीखता है I  बालक आत्म-निरीक्षण करना सीखता है I  परामर्शदाता अथवा शिक्षक की सहायता से विद्यार्थी स्वयं की कमियों में सुधार करता है I इन सब का बोध विद्यार्थी में मनोविज्ञान के अध्ययन से ही आता है ।
        विद्यार्थी जीवन में एक विद्यार्थी विभिन्न अवस्थाओं के अंतर्गत अध्ययन करता है, शिक्षा ग्रहण करता है - शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था I इन सभी अवस्थाओं में बालक विधिवत् शिक्षा ग्रहण करता है I विभिन्न अवस्थाओं में मानसिक स्तर अलग-अलग होता है, रुचियाँ, जिज्ञासाएं, आदतें, व्यवहार सभी कुछ अलग होता है; बदलता रहता है I इन बदलावों के बीच सामंजस्य बनाये रखना मनोविज्ञान के अध्ययन से आसानी से हो सकता है I समय-समय पर इन शारीरिक, मानसिक, व्यावहारिक बदलावों से बालक अपने साथियों, समूहों तथा समाज में भी अनुकूलन करने में परेशानी का अनुभव करता है I मनोविज्ञान के अध्ययन से व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाकर दूसरों के साथ सामंजस्य बनाना आसान हो जाता है I खुद को जानकर, दूसरों के स्वभाव तथा व्यक्तित्व को जानकर उसके अनुरूप व्यवहार करना, परिस्थिति विशेष व्यवहार करना मनोविज्ञान के अध्ययन से सरलतापूर्वक सम्पन्न किया जा सकता है I

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