अन्तर्मन....... क्या कहता है ?

अन्तर्मन....... क्या कहता है ?


अन्तर्मन....... क्या कहता है ?

कुछ लोग ऐसे होते हैं जो आने वाले समय को पहले ही समझ जाते हैं I उनका मन तथा मस्तिष्क उन्हें कुछ ऐसे इशारे देता है कि जिसकी सहायता से वे होने वाली घटना को जान लेते हैं या फिर सामने बैठे शख्स के मन को पढ़ लेते हैं I ऐसे लोग दूरदृष्टा होते हैं, सामने वाले के व्यवहार तथा स्वभाव को देखकर उसके भावी जीवन के बारे में बता देते हैं I इनकी इस अजब सी शक्ति को अन्तर्दृष्टि भी कहा जाता हैI अन्तर्दृष्टि या सहज ज्ञान एक ऐसा ज्ञान है जिसके सहारे कई बातें जो अभी घटी भी नहीं है वह बंद आँखों के सामने आ जाती है I इसे अंग्रेजी भाषा में Intuition भी कहा जाता है I यह एक ऐसा ज्ञान है जो व्यक्ति के अन्दर से ही उत्पन्न होता है I 
भविष्य का बोध कर पाना कोई आम शक्ति नहीं है लेकिन ऐसा नहीं है कि कोई आम व्यक्ति इस शक्ति का अहसास नहीं कर सकता I हर किसी के भीतर ऐसी एक शक्ति जरुर छिपी होती है जो उसे दुनिया से अलग बनाती है I 

अन्तर्मन का अर्थ है- मन की भीतरी चेतना ... हमारा भीतरी मन

मन कभी खुश तो कभी उदास तो कभी खिन्न... एक पल में ही मन बदल जाता है; कभी बन जाता है तो कभी बिगड़ जाता है I मन में आने वाले विचार संवेगों द्वारा नियंत्रित होते हैं I कहते हैं मन चंचल होता है... इसे नियंत्रण में रखता है- हमारा विवेक I हमारा अन्तर्मन बहुत सारे विचारों को हमारे सामने लाता है उनमें से कुछ हमें याद रहते हैं कुछ नहीं और कुछ परिस्थिति को देखकर आते हैं I 

इस बात को एक उदाहरण से समझते हैं - 


किसी दिन शिक्षकों की संख्या कम होने पर हर विषय की पढाई ना हो पाने पर बच्चे क्रिकेट खेलने की अनुमति प्राचार्य से लेना चाहते हैं I अब बच्चे किसी भी स्तर के हों चाहे विद्यालय या महाविद्यालय स्तर के वे प्राचार्य के पास जाने से पहले बहुत सोचते हैं I इसी सोच-विचार में एक-दूसरे को जाने का कहते हैं I अब तभी किसी के मन में आता है कि अनुमति नहीं मिलेगी और कोई कहता है कि चलते हैं सर हाँ भी कर सकते हैं I अब ये था अपने-अपने मन के विचार...अन्तर्मन में चल रहा विचारों का अंतर्द्वंद I ये जो विचार थे वे तत्कालीन परिस्थिति को देखकर थे, वार्तालाप के रूप में सामने आने वाले थे I

एक और उदाहरण लेते हैं-


कभी-कभी हमारे साथ ऐसा होता है कि हम किसी को बहुत याद करते हैं और हमारा अन्तर्मन कहता है कि वो जैसे कहीं पास ही है उतने में ही या तो वो व्यक्ति हमारे सामने हमसे मिलने आ जाता है या फिर उसका फ़ोन हमें आ जाता है I ऐसा मेरे स्वयं के साथ अक्सर होता है I मतलब हम जो अन्तर्मन में सोच रहे होते हैं पर उस पर आगे नहीं बढ़ पा रहे होते हैं, अपने-आप को कुछ रुका हुआ महसूस करते हैं तभी हमारा अन्तर्मन हमारी वह विशेष इन्द्रिय हमें अहसास कराती है उस कार्य का जो भविष्य में घटित होगा I 
कहते हैं जब किसी की छठी इन्द्रिय जागृत होती है तो भविष्य के बारे में बताती है I यह छठी इन्द्रिय हम सबमें होती है बस वह किस तरह हमें इशारा करती है ये बहुत कम लोग समझ पाते हैं I हमारा भीतरी मन हमें उसका अहसास कराता है I यह अहसास हम जागृत और सुप्तावस्था (स्वप्नावस्था) दोनों में करते हैं I कुछ लोगों की यह छठी इन्द्रिय बहुत तेज होती है वे भविष्यज्ञाता होते हैं I कुछ शुभ-अशुभ होने से पहले ही उन्हें उसका आभास किसी ना किसी रूप में हो जाता है I यह अहसास सिर्फ सिद्ध पुरुषों, साधु-महात्माओं को ही हो यह बिलकुल भी जरुरी नहीं है, आजकल के ढोंगी बाबा तो बिलकुल भी नहीं I 
हम जैसे सामान्य लोगों को भी इसका आभास होता रहता है बस हमारा ध्यान इस ओर कभी-कभी जाता है I इसी संदर्भ में मेरे जीवन की एक घटना बताती हूँ जिस रात मुझे सपने में छिपकली दिखाई देती है उसके अगले दिन मेरे घर में छिपकली जरुर आ जाती है पता नहीं कहाँ से I अब जब मुझे मेरे इस अन्तर्मन के इशारे समझ आ गए है तो मैं चौकस रहती हूँ अपने सपनों को लेकर I ऐसे ही हम सबमें से बहुतों ने महसूस किया होगा कि जब वस्तुनिष्ट प्रश्न आधारित परीक्षा देते समय उत्तर नहीं आ रहे और हम ऐसे ही बस टिक करके आना चाहते हैं तब क्या होता है...जिस विकल्प के लिये हमारा मन कहता है कि ये चुनों पर हम अपने दिमाग का इस्तेमाल कर कुछ और चुनते हैं और बाद में उत्तर मिलान करने पर सही वह होता है जिसका इशारा हमारे अन्तर्मन ने हमें दिया था I


अन्तर्मन....... क्या कहता है ?


Mind+Body+Spirit (Inner Energy)
अन्तर्मन को Inter Connection भी कहा जाता है ... मतलब कि आंतरिक जुड़ाव I


यह आंतरिक जुड़ाव होता है हमारे मन का हमारे शरीर का हमारी प्राण ऊर्जा का... भविष्य के साथ I मन, शरीर, आंतरिक ऊर्जा मिलकर आत्मचेतना जगाते है I हमारे भीतर नियंत्रण क्षमता को बढ़ाते हैंI ऋषि-मुनियों, सिद्ध पुरुषों को भावी घटनाओं का आभास अधिक होता था क्योंकि वे ध्यान (Meditation) करते थे I ध्यान समाधि एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति स्वयं के भीतर देखता है I स्वयं में लीन, आसपास के वातावरण से विमुख होकर भी वह इन सभी से जुड़ाव महसूस करता है, वह आतंरिक मन से जुड़ता है I ध्यान से जितना हम अपनी इन्द्रियों (Senses) को नियंत्रित करते हैं उतना ही हम अपने अन्तर्मन को सुन पाते हैं I
अन्तर्मन में बहुत से विचार ऐसे भी आते हैं जो हमें एक नई दिशा प्रदान करते हैं I जरुरत है बस अन्तर्मन की आवाज सुनने की उसे समझने की I

तो क्या कहता है..... अन्तर्मन ? अन्तर्मन..... बहुत कुछ कहता है I


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