युवा ऐसा हो !!! राष्ट्रीय युवा दिवस National Youth Day

युवा ऐसा हो !!! राष्ट्रीय युवा दिवस National Youth Day


युवा ऐसा हो !!! राष्ट्रीय युवा दिवस National Youth Day 


'युवाशब्द से ही उत्साह, स्फूर्ति, सक्रियता आदि गुणों का बोध होता है।'युवा' शब्द वास्तव में आयु- रूप- अर्थ प्रदान करने से परे सकारात्मक गुणों, सक्रिय व्यक्तित्व का बोध अधिक करवाता है। स्वामी विवेकानन्द ने युवा शक्ति का केंद्र शारीरिक बल को नहीं, वरन् मानसिक शक्तियों को माना। युवा होने की परिपूर्णता उसमें है, जिसमें अविराम संघर्ष करने का जज़्बा हो, जिसमें हर पल जीवन में कुछ नवीन करने की उमंग हो, जिसमें प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अजेय मनःस्थिति होजिसमें विनाश की विभीषिका में सृजन के गीत गाने की सामर्थ्य हो, जिसमें असफलताओं की ज्वाला में सफलता के प्रकाश को जन्म देने का भाव हो। ऐसे युवाओं के आदर्श के रूप में स्वामी विवेकानंद के संदेश आज भी उतने प्रासंगिक हैं जितने शताब्दी पहले थे।
युवा राष्ट्र एवं समाज के प्राण होते हैं I राष्ट्र के निर्माण में सबसे ज्यादा योगदान युवाओं का ही होता है I युवा राष्ट्र के भूत एवं भविष्य को जोड़ने के माध्यम होने के साथ-साथ समाज के नैतिक मूल्यों का भी प्रतीक होते हैं I देश की युवा शक्ति ही राष्ट्र को जीवन मूल्य एवं सांस्कृतिक विरासत का प्रसार एवं आधार प्रदान करती है I 

स्वामी विवेकानन्द ने अपनी युवावस्था में भारत देश को विश्व का एक महान राष्ट्र होने की स्थिति में खड़ा किया I वे एक ऐसे सच्चे संस्कृति प्रतिनिधि थे जिन्होंने युवकों में वीरता, साहस का भाव जगाया, अपनी आध्यात्मिक प्रेरणा से उनमें आत्मविश्वास पैदा किया I विश्व में भारत ऐसा देश है जिसके युवाओं में आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्य, स्वाभिमान, राष्ट्र प्रेम, मानव सेवा आदिकाल से चले आ रहे हैं I लेकिन आज के युवाओं के बदल रहे आदर्शों के कारण वे रास्ता भटक रहे हैं I एक समय था जब हमारे देश में चरित्र बल, शिक्षा एवं परिश्रम को ही सफलता का मापदंड माना जाता था  लेकिन आज सफलता के समीकरण बदल गए हैं I आज देश के युवा किसी देशभक्त या महापुरुष को नहीं बल्कि सिनेमा के कलाकारों को अपना आदर्श मानने लगे हैं I


कभी सोचा हमने कि आज के युवाओं में यह भटकाव कैसे आता जा रहा है ? स्वामी विवेकानन्द जयंती को उन्हें युवाओं की प्रेरणा, युवाओं का आदर्श मानते हुए युवा दिवस के रूप में मनाये जाने के बाद भी देश का युवा हिंसक और विकृत मानसिकता का कैसे हो सकता है? 
यह सबकुछ निर्भर करता है मानसिक शक्ति पर I अगर हम मानसिक रूप से परिपक्व हैं तो किसी भटकाव की स्थिति में भी सही निर्णय लेने की क्षमता के होते हुए हम सही राह ही चुनते हैं I 


इसी दिमाग की शक्ति से सम्बन्धित स्वामी विवेकानन्द जी का एक प्रसंग है :


एक बार स्वामी विवेकानन्द के पास एक आदमी आया और उसने पूछा कि - भगवान ने हर इंसान को एक ही जैसा बनाया है फिर भी कुछ लोग अच्छे होते हैं और कुछ बुरे, कुछ सफल होते हैं तो कुछ असफल ऐसा क्यों? स्वामी जी ने उसे समझाने हेतु नम्रतापूर्वक कहा कि तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ, ध्यान से सुनो- कहा जाता है कि यह धरती रत्नगर्भा है यहाँ जन्म लेने के लिये देवी-देवता भी तरसते हैं I एक बार की बात है कि देवी-देवताओं की सभा चल रही थी कि इंसान इतना विकसित कैसे? कैसे वह इतने बड़े-बड़े लक्ष्यों को प्राप्त कर लेता है? ऐसी कौनसी शक्ति है जिसके दम पर इंसान असंभव को भी संभव कर डालता है I

सारे देवी-देवता अपने-अपने विचार रख रहे थे कोई बोल रहा था कि समुद्र के नीचे कुछ ऐसा है जो इंसान को आगे बढ़ने को प्रेरित करता है , कोई बोल रहा था कि पहाड़ों की चोटी पर कुछ है I 
अंत में एक ने जवाब दिया कि इंसान का दिमाग ही ऐसी चीज है जो उसे हर कार्य करने की शक्ति देता है I 
मानव का दिमाग एक अद्भुत चीज है जो इंसान इसकी शक्ति को पहचान लेता है उसके लिये कुछ भी असंभव नहीं है और जो दिमाग की ताकत का इस्तेमाल नहीं करते हैं वे लोग जीवन भर संघर्ष ही करते रह जाते हैं I
हर इंसान की जय और पराजय उसके दिमाग के काम करने की क्षमता पर ही निर्भर है I यह दिमाग ही वह दैवीय शक्ति है जो एक सफल और असफल इंसान में फर्क पैदा करती है I सारे देवी-देवता इस जवाब को सुनकर बड़े प्रसन्न हुए I
स्वामी जी ने कहा- आप जैसा सोचते हैं, आप वैसे ही बन जायेंगे, आप खुद को कमजोर मानेंगे तो कमजोर बन जाओगे, खुद को शक्तिशाली मानोगे तो शक्तिशाली बन जाओगे I यही फर्क है एक सफल और असफल इंसान में I

स्वामी विवेकानन्द के विचारों और जीवन शैली के द्वारा युवाओं को प्रोत्साहित करके देश के भविष्य को बेहतर बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के उद्देश्य  से स्वामी विवेकानन्द के जन्म दिवस को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया था I स्वामी विवेकानन्द देश की ऐतिहासिक परंपरा को बनाने औए नेतृत्व करने के लिये युवा शक्ति पर विश्वास करते थे I वे मानते थे कि युवा देश के वे महत्वपूर्ण अंग हैं जो देश को उन्नति की ओर ले जाते हैं I 

वास्तव में स्वामी विवेकानन्द आधुनिक मानव के आदर्श प्रतिनिधि हैं। विशेषकर भारतीय युवकों के लिए स्वामी विवेकानन्द से बढ़कर दूसरा कोई नेता नहीं हो सकता। उन्होंने हमें कुछ ऐसी वस्तु दी है जो हममें अपनी उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त परम्परा के प्रति एक प्रकार का अभिमान जगा देती है। स्वामी जी ने जो कुछ भी लिखा है वह हमारे लिए हितकर है और होना ही चाहिए तथा वह आने वाले लम्बे समय तक हमें प्रभावित करता रहेगा। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में उन्होंने वर्तमान भारत को दृढ़ रूप से प्रभावित किया है। भारत की युवा पीढ़ी स्वामी विवेकानन्द से निःसृत होने वाले ज्ञान, प्रेरणा एवं तेज के स्रोत से लाभ उठाएगी



स्वामी विवेकानन्द के अनुसार देश का युवा कैसा हो !


मुखमंडल तेजस्वी हो !
वाणी ओजस्वी हो !
शरीर में शक्ति हो !
मन में उत्साह हो !
सद्बुद्धि और विवेक हो !
हृदय में करुणा हो !
मातृभूमि पर प्रेम हो !
इन्द्रियों पर संयम हो !
मन जिसका स्थिर हो !
आत्मविश्वास दृढ़ हो !
इच्छाशक्ति प्रबल हो !
साहसी शूरवीर हो !
सिंह जैसा निर्भय हो !
लक्ष्य जिसका ऊंचा हो !
सत्य जिसका ईश्वर हो !
व्यसनों से मुक्त हो !
जीवन में अनुशासन हो !
मधुर प्रेममयी वाणी हो !
सम्पूर्ण जगत कुटुम्ब हो !
गुरुजनों पर सम्मान हो !
माता-पिता पर श्रृद्धा हो !
मानवीय संवेदना हो !
दीन-दुखियों का मित्र हो !
सेवा में सदा तत्पर हो !
ईश्वर में भक्ति हो !
अचल देशभक्ति हो !
जीवन पूर्ण नैतिक हो !
चरित्र जिसका शुद्ध हो !
स्वामी विवेकानन्द के स्वप्नों का 
युवा ऐसा हो !


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